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नये वर्ष की प्रथम, भोर की प्रथम किरण के साथ।
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यादों में बीते वर्षों के बीते दिवसों की सुवास ।।
साथ में लेकर मन मंदिर में आप हुए साक्षात ।
लगा कि फिर हो साथ आपका स्नेहिल प्रेमप्रपात ॥
शुद्ध हृदय हो, मन निर्मल हो, कुछ ऐसी है आस।
भर अंजुलि, अर्पण आदरांजिली अर्पण हो विश्वास ॥
औसत से कहीं बेहतर गुजरे आने वाला साल ।
रश्क करे जो भी देखें, ऐसा बेहतरीन हो हाल ॥
मंजर हों सभी खुशनुमा, अहसास सुखद सब पायें।
गर मुश्किलें तनिक भी हो, सब वाष्पित हो उठ जायें ॥
ललक प्रगति की महक सुमति की, हर पाल ही रह आये।
मन्जिले नयी नयी हों तय, हर पड़ाव सफल कहलायें ॥
यही कामना, यही चाहना, यही उद्गार है अपना।
हो एकमन, हो एक नयन, देखें नित यही सपना ॥
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-तुमुल सिन्हा,भोपाल
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तुमुल सिन्हा लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार है और साहित्यिक पत्रिका “नैपथ्य” के संपादक है।